शुक्रवार, 7 नवंबर 2008

जिन्दगी का जाप

जो तू मुझ पे वारे खुशियाँ ,
तो मैं जिन्दगी के गीत लिखूँ

पकडूँ डोरों को
झूलने के मीत लिखूँ

जोड़ूँ कड़िओं को
साहिलों की बात लिखूँ

गिनूं तरंगों को
लहरों की आस लिखूँ

चलूँ धरती पर
चलने की ही कुछ बात लिखूँ

गिनूं क़दमों को
थिरकने को आकाश लिखूँ

महके गुलशन तो
रँगत का कोई माप लिखूँ

चुरा लूँ पराग तो
जिन्दगी का जाप लिखूँ

3 टिप्‍पणियां:

  1. SHARDA JI,bahut hi sundar panktiyan.man tarangit ho gaya.
    ALOK SINGH "SAHIL"

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  2. बहुत सुंदर शब्द और भाव...वाह...लिखती रहिये...
    नीरज

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  3. बहुत अच्छा िलखा है आपने । किवता में भाव की बहुत संुदर अिभव्यिक्त है ।

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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