बुधवार, 4 नवंबर 2009

सोने दे मुझे शब भर को

सोने दे मुझे शब भर को
कितनी है कीमत अपनों की
आराम की कीमत कितनी है
आँसू न कर पाये कीमत
उधड़ा है जिगर
सिलाई की कीमत कितनी है
सब्र कितने वक्त का , ये बता
ये सफर है या मुकाम
आड़े वक्त के साथी ,
क्या यही है मेरा ईनाम
सोने दे मुझे शब भर को

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